Friday, November 28, 2014

Low back pain, Sciatica : Causes, Prevention and treatments in Hindi

कमर दर्द, स्लिप-डिस्क और सियाटिका : कारण, बचाव और उपचार 

डॉ. नवीन चौहान, कंसलटेंट आयुर्वेद फिजिशियन 




कमर के निचले हिस्से में दर्द की समस्या से अक्सर हमें दो चार होना पड़ता है. ऐसा दर्द जो कमर के निचले हिस्से से शुरू होकर एक या दोनों टांगों में चलता हुआ महसूस हो, सियाटिका का दर्द हो सकता है. सियाटिका में प्रभावित टांग में झुनझुनी या सुन्नपन भी हो सकता है. इस रोग में रोगी गिद्ध के सामान लड़खड़ा कर चलता है इसलिए आयुर्वेद में इस रोग को ग्रध्रसी कहा गया है.

कमर दर्द: कारण


रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से सियाटिक नर्व निकलती है जो दोनों ओर टांगों में जाती है.अधिकांशतः अनियमित जीवनशैली तथा उठने-बैठने के गलत तरीकों बढ़ती उम्र में इस सियाटिक नर्व और इसके आस पास के टिश्यू में सूजन आ जाती है जिसके कारण कमर के निचले हिस्से और टांगों में ज्‍यादा दर्द होता है खासकर कमर से लेकर पैर की नसों तक। साइटिका एक ऐसा ही दर्द है। दरअसल साइटिका खुद में बीमारी नहीं बल्कि बीमारियों के लक्षण हैं। इसका सूजन मूल कारण डिस्क प्रोलेप्स कमर के निचले हिस्से में  चोट या रीढ़ की हड्डी की आर्थराइटिस आदि हो सकता है.
आयुर्वेद शास्त्रों के अनुसार यह रोग एक वातव्याधि है. वात दोष के असंतुलन के कारण ही कटि-शूल या ग्राध्रासी होता है.  

कमर दर्द की चिकित्सा:


एलोपैथी में लक्षणों के आधार पर दवाइयां दी जाती हैं. दर्द के लिए पेन-किलर और नसों को ताकत देने के लिए विटामिनों की गोलियां, कैप्सूल आदि चिकित्सक देते हैं.
कई बार यदि डिस्क बढ़ने के कारण सियाटिक नर्व या उसके आस पास के टिश्यू पर दबाव ज्यादा होता है तो न्यूरोसर्जन सर्जरी के द्वारा बढे हुए हिस्सों को निकालने की सलाह देते हैं.
फिजियोथेरेपी में फ़िज़ियोथेरेपिस्ट की देख-रेख में लम्बर ट्रैक्शन और डायाथर्मी सिकाई से आराम मिलता है.

आयुर्वेद चिकित्सा:



आयुर्वेद में स्लिप डिस्क और सियाटिका के रोगी को चिकित्सक वातशामक व दर्द निवारक औषधियां जैसे गुग्गुलु, निर्गुन्डी, शल्लकी, रासना, दशमूल, कुपीलू, पिप्पली, शुंठी, मरिच, मेथी, अश्वगंधा, त्रिफला आदि एकल अथवा विभिन्न औषधि योगों के रूप में देते हैं, जो कि गोली, कैप्सूल, पुडिया या काढ़े के रूप में हो सकती हैं. एलोपैथी दर्द निवारक दवाइयों की तुलना में आयुर्वेदिक औषधियों को लम्बे समय तक लेने पर भी किडनी और लीवर पर दुष्प्रभाव सामान्यतयः नहीं होते हैं. इसके अतिरिक्त मालिश के लिए विभिन्न औषधि सिद्ध दर्द निवारक तैल जैसे; प्रसारिणी तैल, पंचगुण तैल, महाविषगर्भ तैल, बला तैल आदि रोगी की स्थिति के अनुसार मसाज के लिए देते हैं.
एक आयुर्वेदीय प्रक्रिया जिसे कटि-वस्ति कहते हैं, इस रोग में अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुई है. इसमें आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशन में औषध-सिद्ध तैलों द्वारा कमर के निचले हिस्से की सिकाई की जाती है.
पंचकर्म प्रक्रियाओं में बस्ति चिकित्सा के परिणाम उत्तम हैं.  

योगाभ्यास


कमर दर्द व सियाटिका में किसी कुशल योगाचार्य के निर्देशन में सावधानीपूर्वक भुजंगासन, मकरासन, मर्कटासन, धनुरासन आदि का अभ्यास करने से रीढ़ को लचीला बनाए रखने में मदद मिलती है और दर्द में भी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं.

कमर दर्द से पीड़ित होने पर क्या करें व क्या ना करें?


·        सही स्थिति में कुर्सी पर बैठें
·        लम्बे समय तक एक ही स्थिति में ना बैठे, बीच बीच में टहलते रहे और पोजीशन बदलते रहें.
·        हल्का सुपाच्य संतुलित भोजन करें.
·        ऐसे आहार हो पचने में भारी होते हैं जैसे उड़द, छोले, राजमा, फ़ास्ट फ़ूड, मांसाहार आदि न लें.
·        आगे की ओर ना झुकें
·        अत्यधिक भारी वजन न उठायें.
·        ऊँची एड़ी की चप्पल न पहने
·        आराम करने के लिए तख़्त या सीधा बेड जिस पर हल्का गद्दा बिछा हो, प्रयोग करें
·        चिकित्सक के निर्देशानुसार यदि आवश्यक हो तो लंबर बेल्ट का प्रयोग करें.
·        व्यायाम या योगासन किसी कुशल व्यक्ति के निर्देशन में ही करें.